चुनावी काव्य
चुनावी काव्य
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चढ़ा चुनावी होली का रंग
सब नेता गावैं फाग,
आपनि डफली,आपन राग।
कोऊ तौ मुफ्त की बिजली बांटै,
कोऊ दे स्कूटी।
कुछ दलबदलू तो टिकट पा गए, कितनेव की किस्मत फूटी।।
कोऊ अपने का नेउला बतावै दुसरे का बतावै नाग।
चढ़ा चुनावी होली का रंग सब नेता गावैं फाग,आपनि डफली आपन राग।।
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर